अविश्वास प्रस्ताव का मुख्य कारण कंही न कंही पूर्व पदस्थ प्रभारी CMO का कार्यकाल
संविदाकर्मि से प्रभारी सीएमओ बने सी पी श्रीवास्तव का कार्यकाल के दौरान हुए गबन भ्रष्टाचार
फर्जी अफसरशाही द्वारा जमकर कमीशनखोरी की गयी। कूटनीति रच अवैधानिक कार्यो को वैधानिक ठंग से करने की सजीश में माहिर, पार्षद निधि गबन,गोपनीय टेंडर से चहेतों को काम, घटिया निर्माण कार्य का पूर्ण मूल्यांकन एवम भुगतान, पद का दुरुपयोग कर राजस्व भूमि को लीज पर देना, बैठक पंजी में छेड़छाड़ कर लोकतांत्रिक अधिकार की हत्या,फर्जी खरीदी दिखा बिल भुगतान से राशि आहरण, नोटिस देकर आम जनता, जनप्रतिनिधि का भयादोहन, विकास कार्यो के लिए आबंटित राशि का बन्दरबांट....ऐसे अनेक मामले से नगर पंचायत लैलूंगा तत्कालीन समय मे सुर्खियों में रहा।मुख्यमंत्री बस स्टैंड की नवनिर्मित दुकानों को प्रस्ताव पंजी में छेड़छाड़ कर मनमाने व नियम विरुद्ध आबंटन के मामले में पार्षदों ने बैठक की और सामान्य सभा मे मुद्दा उठाया और बैठक पंजी में छेड़छाड़ को गंभीर बताते हुए प्राथमिकी दर्ज कराने की मांग की गयी । लेकिन प्राथमिकी से पहले जांच के लिए एक टीम बनाकर मामले की जांच रिपोर्ट लेने के बाद निर्णय लेने का प्रस्ताव पारित किया गया। लेकिन अध्यक्ष ने जांच को दबाने का प्रयास किया और महीनों बाद भी ना जांच रिपोर्ट प्रस्तुत हुई और न ही बैठक पंजी में छेड़छाड़ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो सकी।
कुल मिलाकर पूर्व पदस्थ तथाकथित प्रभारी CMO द्वारा शासकीय राशि की लूट, गबन, भ्रष्टाचार का ऐसा तांडव किया गया, जिसकी अनदेखी पार्षदो में दबी चिंगारी आग का गोला बन गया....
बताया जा रहा है कि अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन पर पार्षदों के हस्ताक्षर CP कार्यकाल में ही हो गए थे....
आज 9 वोट अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में गिरे जिससे अध्यक्ष को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी ने भी इस मुद्दे को लेकर अपने को दरकिनार कर लिया था जबकि जिले से भी कोई पदाधिकारी पर्यवेक्षक नही बनाया गया। अध्यक्ष की कुर्सी हाथ से जाने के बाद भी कांग्रेस को ज्यादा कुछ गंवाने को नही है। जिसका कारणं अध्यक्ष कांग्रेस का ही बनना तय है। भाजपा के कुल 2 पार्षदों में महिला कोई नही है।और नगर पंचायत लैलूंगा का पद सामान्य महिला आरक्षित है।
सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ पार्टी के ही पार्षदों ने अविश्वास के लिए आवेदन किया और कांग्रेस की नगर सरकार गिर गयी। जिससे पार्टी की छवि धूमिल हुई, और साथ ही भविष्य में पार्टी में गुटबाजी उभरने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता।
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