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आनन्द मार्ग योग साधना शिविर प्रारम्भ........!!!!


आनन्द मार्ग प्रचारक संघ की त्रिदिवसीय योग शिविर व प्रथम डायोसिस स्तरीय सेमिनार का औपचारिक उद्घाटन शिविर के मुख्य प्रशिक्षक आचार्य गुणीन्द्रानन्द अवधूत ने मार्ग गुरुदेव तथा आनन्द मार्ग प्रचारक संघ के संस्थापक श्री श्री आनन्दमूर्त्ति के प्रतिकृति पर माल्यार्पण से किया। मुख्य प्रशिक्षक ने अपने उद्घाटन उद्बोधन में योग की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग केवल आसन व प्राणायाम तक ही सीमित नहीं है। योग, अष्टांग है, जिसका प्रारम्भ यम नियम से होता है और समाधि में परिणित होता है। योग जीवन जीने की एक कला है। योग को आत्मसात करना है। पशु का जीवन भोग के लिए है जबकि मानव जीवन बना ही है योग के लिए। मनुष्य का सामाजिक उत्तरदायित्व यह है कि अपने जीवन में आध्यात्मिक व सामाजिक दर्शन का ज्ञान प्राप्त कर व्यावहारिक रूप से कर्म में प्रतिष्ठित होकर परम लक्ष्य की प्राप्ति करना है और एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना।

अपरान्ह सत्र में आचार्य जी ने भगवान श्रीकृष्ण के बारे में कहा कि कृष्ण की दो भूमिकाएं थी – एक है कोमल ब्रज के कृष्ण और दूसरी है कठोर पार्थ सारथि कृष्ण। इन दोनों भूमिकाओं की तुलना सांख्य दर्शन, अद्वैतवाद दर्शन, द्वैतवाद दर्शन व भक्ति तत्त्व के आधार पर किया।

इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के दुर्ग , रायपुर, राजनान्दगांव, बालोद, महासमुन्द, बिलासपुर, बलोदा बाजार, कोरबा, रायगढ़ जिला तथा म. प्र. के बालाघाट जिला से कार्यकर्ता भाग लेने आए हैं । कार्यक्रम में राँची रीजन के रीजनल सेक्रेटरी आचार्य धीरजानन्द अवधूत, रायपुर डायोसिस के महिला शाखा सचिव ब्रह्मचारिणी सगुणा आचार्या, बिलासपुर डायोसिस के महिला शाखा सचिव ब्रह्मचारिणी सन्निधि

आचार्या कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।

कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु आनन्द मार्ग प्रचारक संघ इकाई विनायकपुर के कार्यकर्ता गण सर्व श्री त्रेता चन्द्राकर, रामसेवक दिल्लीवार, भूषण दिल्लीवार, विनय चन्द्राकर तथा समाज सचिव छत्तीसगढ़ आचार्य शिवानन्द दानी की सक्रिय की सक्रिय भूमिका है।


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