जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के रायगढ़ जिला उपाध्यक्ष,आर टी आई कार्यकर्ता,और दृष्टिकोण संस्था के प्रमुख प्रिंकल दास ने वित्त मंत्री और रायगढ़ विधायक ओम प्रकाश चौधरी के ट्वीट पर पलटवार किया और कहा कि आदरणीय ओपी भैया जैसा कि आपने कहा लेकिन मुझे तो यह अतिरंजना प्रदेश कि सायं सरकार का राजनीतिक प्रचार लगता है उन्होंने पंक्ति वार योजनाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी श्री प्रिंकल दास ने बताया कि
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT)
"स्थापना" का दावा गलत; यह केवल मंजूरी है, न कि निर्माण या संचालन। वास्तविक स्थापना में 2-5 वर्ष लग सकते हैं, और इसका श्रेय केंद्र सरकार (टेक्सटाइल मंत्रालय) को भी जाता है। यह युवाओं की अपेक्षाओं को बढ़ावा देता है वो भी बिना ठोस आधार के।
नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU)
आधारशिला रखना "स्थापना" नहीं; यह प्रारंभिक कदम है। दावा अतिरंजित, क्योंकि कैंपस अभी अस्तित्व में नहीं। अपराध न्याय में योगदान सराहनीय, लेकिन उपलब्धि को बढ़ा-चढ़ाकर बताना भ्रामक।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (NIELIT)
जमीन अलॉटमेंट "स्थापना" नहीं माना जा सकता। दावा भ्रामक, क्योंकि NIELIT राष्ट्रीय स्तर पर पहले से मौजूद है, लेकिन छत्तीसगढ़ में नया सेंटर अभी कार्यरत नहीं।यह दावा केवल राजनीतिक अतिरंजना का उदाहरण है।डेढ़ वर्ष में केवल मंजूरियां या आधारशिलाएं रखना सराहनीय है,लेकिन इन्हें "स्थापना" कहना गलत है। आधिकारिक रूप से यह स्पष्ट है कि ये परियोजनाएं अभी अधर में हैं। युवाओं को वादों के बजाय वास्तविक प्रगति की आवश्यकता है। सरकार को इनकी समयबद्ध निगरानी और अपडेट प्रदान करनी चाहिए। यदि ये संस्थान जल्द संचालित होते हैं,तो यह राज्य के लिए सकारात्मक होगा, लेकिन वर्तमान दावा भ्रामक लगता है।
(IISc, SPA, IISER, NIPER) ये केवल दावा है
ये संस्थान लाना सरकार की प्राथमिकता है, जिससे युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। जुलाई 2025 में जारी "विकसित छत्तीसगढ़@2047
" रोडमैप में राज्य ने इन संस्थानों को आकर्षित करने की "आकांक्षा" व्यक्त की है, जो सेवा क्षेत्र को मजबूत करने का हिस्सा है। हालांकि, कोई ठोस योजना, केंद्र सरकार से मंजूरी, बजट आवंटन या आधारशिला नहीं है ये संस्थान राष्ट्रीय महत्व के हैं (IISc 1909 से, IISER 2006 से), और नए कैंपस की स्थापना केंद्र पर निर्भर है। अन्य राज्यों (जैसे ओडिशा में NIPER की मांग) में भी ऐसी योजनाएं हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के लिए कोई विशिष्ट प्रगति नहीं।
यह मात्र दीर्घकालिक आकांक्षा है, न कि कोई निश्चित योजना या क्रियान्वयन। ऐसे लक्ष्यों को "प्राथमिकता" बताना सराहनीय है, लेकिन बिना सबूत के यह युवाओं को गुमराह कर सकता है। राज्य की GSDP को 15 गुना बढ़ाने का लक्ष्य महत्वाकांक्षी है,लेकिन शिक्षा संस्थानों के लिए केंद्र-राज्य समन्वय की कमी दिखती है।
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