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बोर्ड परीक्षा के अंतिम 28 दिन,मेहनत की सीमाएं तोड़े शिक्षक एवं छात्र : डॉ पियूष




शिक्षा एक राष्ट्र के विकास हेतु,समाज की सशक्तता हेतु प्रथम आधारभूत आवश्यकता है जिसकी पूर्ति विषय अध्ययन में पूरी तन्मयता ,गंभीरता से ही की जा सकती है। शिक्षा अनेक मोतियों की एक माला है जिसमें दो अमूल्य मोती जड़ते है जिन्हें कक्षा दसवीं ,बारहवीं कहा जाता है जो जीवन में आगे बढ़ने,मंजिल की ओर प्रशस्त होने का मार्ग निर्मित करते हैं,कक्षा दसवीं , बारहवीं बोर्ड परीक्षा है जिसके परिणाम बच्चों के भविष्य निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं और उस महत्वपूर्ण परीक्षा का समय आ गया है, सिर्फ अंतिम 28 दिन बचे हैं। 
वर्ष भर तो छात्र एवं शिक्षक मेहनत करते ही हैं लेकिन ये अंतिम का एक महीना सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है यदि वर्ष भर की मेहनत को सार बना कर शिक्षक बच्चों साथ अपने विषय पर मेहनत करें तो बेहतरीन परिणाम हासिल किए जा सकते हैं इस बात पर कोई संदेह नहीं है। शिक्षक और छात्र दोनों ही अच्छी शिक्षा हेतु बराबर कर्तव्यनिष्ठ ,जिम्मेदार होते हैं यदि दोनों की मेहनत मिल जाए तो समाज के सशक्त भविष्य की कल्पना सार्थक की जा सकती है और होगी भी। यदि बोर्ड परीक्षा में अंतिम महीने में शिक्षक बच्चो के साथ स्वयं भी पिछले वर्षों के बोर्ड परीक्षा के प्रश्न पत्र हल करें नियमित, अथवा आदर्श प्रश्न स्वयं बना कर नियमित हल करें तो उत्तीर्ण का प्रतिशत निः संदेह सौ प्रतिशत होने की स्थिति बन जाएगी बस शिक्षक और छात्र दोनों मिल कर नियमित प्रश्न पत्र हल करें ,इससे बच्चों में प्रश्न पत्र समझ कर उसे हल करने की योग्यता का भी निर्माण होता है तथा विषय विशेषज्ञता में भी वृद्धि होती है। डॉ पियूष का कथन है कि *शिक्षक एवं छात्र जब सम्मिलित रूप से विषय पर मेहनत करते हैं तो परिणाम समाज विकास का आधार निर्माण करते हैं। जय शिक्षा।

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