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जेपीएल तमनार में हर्षोल्लास से मना आपसी सौहार्द्य व भाईचारे का महापर्व छठ


*डुबते, उगते सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा समूचा सावित्रीनगर*

तमनार- जिंदल पावर लिमिटेड तमनार के आवासीय कालोनी सावित्रीनगर में आपसी सौहार्द्य व भाईचारे का महापर्व छठ कोहरे व बादलों के मध्य ऑख मिचौली खेलते उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही श्रद्धा एवं भक्ति का अटूट चार दिवसीय महापर्व सम्पन्न हो गया। इस दौरान समूचा सावित्रीनगर भक्तिभाव से सराबोर रहा। व्रतधारियों ने सपरिवार कल अस्ताचल सूर्य और आज उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व परिवार की सुख समृद्धि, सौहार्द्य की कामना की।  
    उल्लेखनीय हो कि उत्सवधर्मी सम्पूर्ण सावित्रीनगर में ’नहाय खाय’ कार्यक्रम से प्रारंभ 54 घंटे का यह निर्जला महापर्व को हर्षोल्लास से मनाने के लिए उत्साहित रहा। कालोनी में निवासरत सम्पूर्ण भारतवर्ष के कर्मचारियों ने आपसी सामन्जस्य एवं भाईचारे के साथ सूर्यदेव की अराधना की। मुख्यतः पूर्वी भारत बिहार में मनाया जाने वाला यह पर्व अब सम्पूर्ण भारतवर्ष बल्कि विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। इस पर्व को स्त्री व पुरूष समान रूप से मनाते हैं और छठी मैया से पारिवारिक सुख समृद्धि तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। कई बार महिलाएॅ अपने मनोवांछित फल प्राप्ति पर इस व्रत को उठाते हैं और ताउम्र जब तक संभव हो इस व्रत को रखते हैं। यह पर्व दीपावली के छठे दिन से मनाया जाता है। छठ पूजा में व्रती द्वारा निर्जला रहकर डुबते एवं उगते सूर्य की उपासना की जाती है। इस अवसर पर साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। चार दिवसीय यह व्रत कार्तिंक मास शुक्ल पक्ष के चतृर्थी तिथि को नहाय खाय से प्रारंभ किया जाता है। इस अवसर घर व आस पास की साफ सफाई कर छठ व्रत स्नानकर, स्वच्छ वस़्त्र धारण एवं शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत का शुभारंभ किया जाता है। पंचमी तिथि को लोखंडा और खरना का आयोजन किया जाता है तथा पूजा दिन निर्जला उपवास रखकर शाम को भोजन ग्रहण करना होता है, इस अनुष्ठान को खरना कहा जाता है, जिसे ग्रहण करने के लिए आस पास के पड़ोसियों को भी बुलाया जाता है। व्रत के तीसरे दिन षष्ठी तिथि को व्रत का प्रसाद तैयार किया जाता है तथा शायं काल को बांस की टोकरी में अर्ध्य सामग्री सजाकर व्रती सपरिवार अस्ताचल डुबते सूर्य को व्रती और उसके परिवार के सदस्य द्वारा अर्ध्य अर्पण किया जाता है। व्रत के अंतिम दिन सप्तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को व्रत का अंतिम अर्ध्य दिया जाता है, जिस जगह पर डुबते सूर्य को अर्ध्य दिया गया था। इस स्थान पर व्रत रखने वाले अन्य व्रती एवं उनके परिवार के समस्त सदस्य उपस्थित होकर पुरे वातावरण को दर्शनीय बनाते हैं। इस अवसर पर उपस्थित सभी को प्रसाद का वितरण किया जाता है। यह भी मान्यता है छठ का प्रसाद को मांगकर खाया जाता है, जिससे मनोकामनाएॅ पूर्ण होती हैं तथा प्रसाद वितरण के साथ ही आस्था का यह अटूट पर्व सम्पन्न होता है। इस अवसर पर पुरे चार दिन तक व्रतियों के परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा विभिन्न गीत संगीत का आयोजन हर्षोल्लास से किया गया एवं छठ गीत व भजन बजाया गया, जिससे पूरा सावित्रीनगर का वातावरण भक्ति से छठमय हो गया।
   कार्यक्रम में श्री छविनाथ सिंह, कार्यपालन निदेशक एवं यूनिट हेड, जेपीएल तमनार की गरीमामय उपस्थिति रही। उन्होनें उदित सूर्य को अर्ध्य देते हुए व्रतियों एवं उनके परिवार को सम्बोधित करते हुए कहा कि आस्था, भक्ति एवं श्रद्धा का यह पर्व हम सबको सुखी एवं समृद्धि प्रदान करे, अनन्य फल देने वाली छठी मैया व प्रकृति के निर्वाहक श्री आदित्य सूर्यदेव हमारी दुःखों को दूर कर हम सबकी एवं समस्त क्षेत्रवासियों की कामनाओं को पूर्ण करें। इस अवसर पर छठ के पावन अवसर पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने एवं उनका आभार व्यक्त करने श्री ओमप्रकाश, कार्यकारी उपाध्यक्ष, श्री संदीप सांगवान, श्री संजीव कुमार, डायरेक्टर,श्री गोविंद कुमार, राजेश दूबे, श्री आर.डी. कटरे, श्री जितेन्द्रपति त्रिपाठी, श्री संजय कुमार सिंह, श्री आरपी पाण्डेय, श्री सुदीप सिन्हा, श्री गोपाल यादव एवं प्रेरणा महिला मण्डल की श्रीमती सिंह के साथ समस्त सदस्य, संस्थान में कार्यरत समस्त कर्मचारी, उनके परिवार के सदस्य व रिस्तेदारों के साथ निकटस्थ ग्रामों के शताधिक श्रद्धालु प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

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