लैलूंगा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला ग्राम एंकरा जिसे जंगली क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है जीसके अधिकांश लोग जंगल एवं कृषि कार्य में आश्रित रहते हैं एवं अधिकांश आदिवासी लोग निवासरत हैं जिसके बच्चे गांव से ही पढ़ाई की शुरुआत करते हैं जिनका प्रथम स्थान आंगनबाड़ी रहता है परंतु ग्राम एंकरा का आंगनबाड़ी केंद्र मनमानी के भेट चढ़ता जा रहा है आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सुरेखा पटेल अपने मनमानी से आंगनबाड़ी केंद्र खोलती है जिसे ग्रामीणों ने कई बार शिकायत भी कर चुके हैं एवं कार्यवाही नहीं होने पर सांसद महोदय को भी अवगत करा चुके हैं लेकिन अभी तक इस पर किसी भी प्रकार की जांच पूर्ण नहीं हुई है कई बार प्रिंट मीडिया एवं पोर्टल में भी इसकी खबर प्रकाशित हो चुकी है लेकिन अभी तक महिला सुपरवाइजर एवं उच्च अधिकारियों द्वारा किसी भी प्रकार की संतोषजनक कार्यवाही का ना होना संदेह का विषय बना हुआ है ग्रामीणों में भी निराशाजनक माहौल बना हुआ है जहां से बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं वह आधार स्तंभ आंगनबाड़ी कहलाता है जिसमें शासन द्वारा बच्चों के लिए पोषित खाना दिया जाता है यहां के कई बच्चे कुपोषण के शिकार हो रहे हैं क्या मनमानी के खिलाफ शासन प्रशासन एवं जनप्रतिनिधि का चुप्पी साधना संदेह का विषय बना हुआ है। कब तक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने मनमानी से बच्चों के ऊपर खिलवाड़ करती रहेगी क्या उच्च अधिकारियों तक अभी तक बात नहीं पहुंची जो अभी तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुआ। अब देखना यह होगा कि कब तक इसका निष्पक्ष जांच होगा...
*महिला सुपरवाइजर से फोन के माध्यम से हुआ चर्चा* के अनुसार बताया गया की एंकरा केंद्र मे अभी तक सहाइका की न्युक्ति नहीं हुआ है किसी मीटिंग या आवशयक सरकारी कार्य से जाती है तो पंचायत एवं मुझे सुचना देकर जा शक्ति है सुचना नहीं देती या किसी स्वयं के कार्य से कार्यालय बंद रखती है तो उस पर उचित कार्रवाई हो सकता है अब देखना यह होगा कि सुरेखा पटेल पर कार्रवाई होती है या हमेशा की तरह मनमानी देखने को मिलेगा।।
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