कटेली, सारंगढ़।।नवीन जिला सारंगढ़- बिलाईगढ़ के ग्राम कटेली से इस वक़्त बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है,जँहा से निजी दस्तावेजों में कूट रचना कारित कर शासकीय हाई स्कूल सोन (मस्तूरी) मे पिछले १० सालों से वर्ग १ शिक्षक के पद पर नवरतन जायसवाल पिता सुखदेव जायसवाल के पदस्त होने की जानकारी प्राप्त हो रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नवरतन कि नियुक्ति २७/०६/२०११ को हुई है ।जिसमे प्रस्तुत आदेश की कड़िका ०३ के अनुसार जनवरी २००१ की स्थिति मे ०२ से अधिक जन्म व जीवित संतान नही होना था जिसे छुपाया गया, जिसकी जानकारी सम्बन्धित विभाग होने पर नियुक्ति तत्काल प्रभाव से निरस्त कर धोखाधड़ी का मामला दायर की जा सकेगी।
नवरतन के चार संतान हैँ:-
१.भारती जायसवाल, २. हरिश जायसवाल, ३. ज्योति जायसवाल २४/०७/२००२, ४. उदय जायसवाल २७/०२/२००४, को जन्म हुआ है,जिनके दाखिल खारिज पंजी संलग्न की गई है।
नवरतन ने नौकरी पाने की लालच मे फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र भी स्वयं से कुट रचित बनाया ,जिसकी फर्जी होने की पुष्टि स्व.लखीराम स्मृति जिला चिकित्सालय रायगढ़ के द्वारा कर दी गई है,आपको बता दें वर्ष २०११ की आर्थिक सामाजिक जन गणना मे भी नवरतन के किसी विकलांगता का जिक्र भी नही है, जो की प्राथमिकी मामला धारा ४२० की श्रेणी मे आता है, सम्बन्धित फर्जीवाड़ा का प्रमाण संलग्न है, जिस पर ग्रामीणों ने पुलिस थाने का रुख करने की जानकारी भी दी है और पत्रकारों से सहयोग की अपील किया है ।
नवरतन जायसवाल फर्जी प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर १३ सालों से शासन को धोखे मे रखकर नौकरी कर रहा है, नवरतन का जन्म मार्कशीट मे दर्ज जन्म तारीख ०७/०६/१९७९ अवलोकनीय है तथा इसकी नियुकी २०११ मे हुई जिससे यह साफ साफ पता चलता है की नवरतन ने अधिकारियों के साँठ गाँठ से ४२ वर्ष की उम्र मे पदस्थापना के कृत्य को अंजाम दिया था जबकी उस समय आरक्षण व आयु सीमा ३५ वर्ष रही।
इतना हि नही ये तो ऐसा लालची और फर्जी कर्ता है जो महज कुछ रुपयों की छात्रवृत्त्ति अपने बच्चों को दिलाने उद्देश्य से अपनी आय छुपाते हुए झूठी सपथ पत्र न्यायालय मे प्रस्तुत कर शासन को धोके मे रखा , जानकारी ये भी प्राप्त हो रही है की नवरतन जायसवाल हर गली नुक्कड़ पर अधिकारियों को अपने पैकेट मे रखने का धौश दिखाता रहता है ,
अब देखना यह होगा की खबर लिखे जाने के बाद क्या नवरतन के पैकेट मे अधिकारी रखने वाली बात सार्थक होती है या सम्बन्धित विभाग के अधिकारी अपनी छवि धूमिल होने से बचा पाते है और क्या कुछ कार्यवाही करते हैँ।
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