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साय बोले- हसदेव जंगल में कटाई के लिए कांग्रेस जिम्मेदारः कांग्रेसियों के विरोध पर CM ने कहा- उनके नेताओं को देखना चाहिए अनुमति किसने दी?..



सरगुजा। के हसदेव जंगल में चल रही पेड़ों की कटाई के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पेड़ों के कटाई की अनुमति कांग्रेस की सरकार थी, तब दी गई थी। साय सोमवार को बिलासपुर रवाना होने से पहले मीडिया से बात कर रहे थे।


रायपुर के पुलिस लाइन स्थित हेलीपैड पर चर्चा के दौरान सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि पहले जो भी काम हुए, चाहे वह पेड़ों की कटाई हो या अन्य कांग्रेस सरकार की अनुमति से हो रहा है। हसदेव अरण्य में 15 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे हैं। कांग्रेस इसके विरोध में सोमवार को प्रदर्शन करने वाली है।


स्थानीय ग्रामीणों को सिंहदेव, भगत का समर्थन : हसदेव जंगल में चल रही पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे ग्रामीणों को पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव और पूर्व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने अपना समर्थन दिया है। दो दिन पहले दोनों नेता ग्रामीणों से मिलने भी गए थे। रायपुर में भी कांग्रेस इसके विरोध में शाम को प्रदर्शन करने जा रही है।


अब समझिए क्या है विवाद : सरगुजा के हसदेव इलाके में जंगल कोल ब्लॉक के लिए काटा जा रहा है। यहां से निकलने वाले कोयले का इस्तेमाल राजस्थान में बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा। खदान के विरोध में ग्रामीण और सामाजिक संगठन धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इसे लेकर कई बार पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प भी हो चुकी है। उदयपुर में पीकेईबी कोल ब्लॉक के लिए गुरुवार 21 दिसंबर से पेड़ों की कटाई शुरू की गई है। इसके लिए प्रशासन ने साल्ही, हरिहरपुर, पेंड्रीमार इलाके में फोर्स तैनात कर पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। इस बीच शुक्रवार को कांग्रेस जिला कांग्रेस अध्यक्ष राकेश गुप्ता, महापौर डॉ अजय तिर्की की अगुवाई में धरने पर बैठे ग्रामीणों की बीच पहुंचे थे।


कितने पेड़ करेंगे और क्यों : राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट केते बासेन (PSKEB) कोल ब्लॉक के लिए 2,682 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है, जिसमें से 70 प्रतिशत एरिया फॉरेस्ट लैंड है। इस ब्लॉक के लिए 91.2 हेक्टेयर क्षेत्र से 15307 पेड़ों की होगी कटाई होगी। 2013 से हसदेव अरण्य क्षेत्र के इस कोल ब्लॉक में कोल उत्पादन किया जा रहा है। पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ सरकार ने इस खदान क्षेत्र के 134.84 हेक्टेयर भूमि पर कोल माइनिंग की परमिशन दी थी। एक साल पहले सितंबर 2022 में 43.6 हेक्टेयर भूमि से फोर्स लगाकर 8000 पेड़ काटे गए थे। दिसंबर 2021 की वन सलाहकार समिति की सिफारिशों के आधार पर, पर्यावरण मंत्रालय ने 2 फरवरी 2022 को पीईकेबी कोयला खदान के लिए चरण- II के खनन कार्य को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 25 मार्च, 2022 को पीईकेबी खदान में कोयला खनन की अनुमति दी थी।


पीईकेबी खदान को भारत की सबसे अच्छी संचालित खदानों में से एक माना जाता है। संचालन, पर्यावरण, सुरक्षा, पुनर्वास और पुनर्वास में उत्कृष्टता के लिए इसे 2019 से कोयला मंत्रालय द्वारा उच्चतम पांच सितारा दर्जा दिया गया है। आरआरवीयूएनएल ने एक मॉडल खदान विकसित की है और पीईकेबी खदान के आसपास शिक्षा और सशक्तिकरण, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, महिला सहकारी और ग्रामीण बुनियादी ढांचे के लिए समुदाय केंद्रित पहल में भारी निवेश किया है।

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