"मैं अकेला ही चला था जानिब-ए- मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया"
छ.ग. में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। हर क्षेत्र में प्रत्येक पार्टी जोरों से तैयारी कर रही है। प्रत्येक विधानसभा में प्रत्येक पार्टी से दिग्गज एवं कई युवा नेता टिकट के लिए दावेदारी कर रहे हैं। लेकिन ऐसा माना जाता है , बीजेपी में ओपी चौधरी एक ऐसा नेता हैं जिनकी लोकप्रियता इतनी अत्याधिक है कि वे किसी भी क्षेत्र में चुनाव लड़कर जीत सकते हैं।
ओपी चौधरी जी पर कुछ वैचारिक मतभेद भी हैं, कुछ लोग उन्हें छ.ग. के "अनमोल रतन", ' भावी मुख्यमंत्री, के रूप में मानते है तथा कुछ लोग उन्हें राजनीति में कम अनुभवी मानते हैं। उनके कलेक्टर पद के त्याग से असंतुष्ट रहते हैं।
आज मैं उनके जीवन की एक अनसुनी घटना बताता हूँ जिसे मैंने प्रत्यक्ष अनुभव किया है।
विगत दिनों पहले ओपी जी रायगढ के बापू नगर में सफाई कर्मचारियों के बीच गए थे, वहाँ उनका शानदार स्वागत हुआ। उन्होंने आम कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। युवा काफी उत्साहित थे।
उन्होंने एक गरीब दलित के यहां खाना भी खाया। वह व्यक्ति भाव विभोर हो गया और ओपी जी को कहने लगा आप तो भविष्य में भूल जाएंगे पर मुझे हमेशा याद रहेगा कि ओपी जी जैसे दिग्गज जननायक ने हमारे यहाँ भोजन किया था। ओपी ने बड़ी विनम्रता से कहा जाति, धर्म, संपत्ति,पद, व्यवसाय कोई बड़ा नहीं होता, व्यक्ति कर्म से बड़ा होता है। उन्होंने उनकी बालिकाओं को लगातार पढाने के लिए कहा और बतलाया कि शिक्षा से ही देश में क्रांति आएगी। शिक्षा बाबा साहेब का भी सपना है जिसे हमें पूरा करना है। बाकी नेताओं की तरह ओपी जी ने गरीब व्यक्ति के घर खाना खाकर सहानुभूति लेने का प्रसिद्ध होने का काम नहीं किया, और ना ही इसे बड़े बड़े अखबारों में छपवाया। इस घटना को देखकर मैं समझ गया छ. ग. में असली जननायक, शिक्षा के सूत्रधार ओपी जी ही हैं । तभी जनता कहती हैं "अबकी बार ओपी की सरकार"
0 Comments