प्रमोद कुमार सोनवानी कि रिपोर्ट
गौरेला पेंड्रा मरवाही। जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग, समग्र शिक्षा अभियान एवं यूनिसेफ के संयुक्त प्रयास से मोर आखर (बुनियादी साक्षरता) कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों में प्रारम्भिक भाषा शिक्षा में सुधार लाने एवं बच्चों की पढने लिखने की क्षमता को और प्रभावी बनाने हेतु जिला स्तरीय 24 मास्टर ट्रेनर्स की 5 से 7 जून तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण बीआरसी भवन पेंड्रा में अयोजित किया गया।यूनिसेफ के स्टेट कन्सलटेंट रवि कुमार और जिला शिक्षा अधिकारी एन.के.चंद्रा द्वारा प्रशिक्षण में उपस्थित होकर मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण के बाद कलस्टर स्तर पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देने हेतु तैयार रहने कहा गया।
मोर आखर कार्यक्रम के अंतर्गत कक्षा निरीक्षण के अनुभव साझा करते हुए कहा गया कि कक्षा निरीक्षण दौरान जैसे ही बच्चों को प्रश्न किया जाता है बच्चे उसका बिना किसी भय के तुरंत उसका जवाब देते हैं। कक्षाओं की साज सज्जा भी अच्छा हुआ है|
मोर आखर कार्यक्रम के जिला समन्वयक सरस्वती यादव द्वारा बताया गया कि इस कार्यक्रम में शिक्षक बच्चों के साथ भाषा सीखने के 8 स्तर मौखिक भाषा, ध्वनी जागरूकता, वर्ण पहचान, शब्द भण्डार, धाराप्रवाह, समझ, लेखन और स्वतंत्र पठन पर एक साथ काम करते हैं।
जब हम जिले के सभी प्राथमिक शालाओं में जिला एवं ब्लाक शिक्षा अधिकारी, संकुल समन्वयक के साथ कक्षा अवलोकन करते हैं तो अधिकाश स्कूलों में कक्षा पहली के बच्चों को धारा प्रवाह के साथ पुस्तक पढ़ते देख बहुत अच्छा लगता है।
उल्लेखनीय है कि नवगठित जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही में मोर आखर (बुनियादी साक्षरता) कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा जिले में भेट मुलाकात के दौरान 5 जुलाई 2022 को किया गया। यह कार्यक्रम विकास खण्ड गौरेला एवं पेंड्रा के 299 प्राथमिक शालाओं में पायलेट कार्यक्रम के रूप में संचालित किया जा रहा है।
जिला प्रशासन द्वारा गौरेला एवं पेंड्रा विकास खंड के प्रत्येक प्राथमिक शालाओं के एक अतिरिक्त कक्ष में पंचायत विभाग के सहयोग से वाल पेंटिंग के माध्यम से प्रिंटरिच वातावरण का निर्माण कर सभी 299 स्कूलों के शिक्षकों को कक्षा पहली एवं दूसरी के बच्चों के लिए तरंग पुस्तिका, शिक्षकों के लिए शिक्षक संदर्शिका एवं कहानी की पुस्तक का एक-एक सेट वितरण किया गया हैं।
शिक्षकों द्वारा सभी प्राथमिक शालाओं में तरंग पुस्तिका, शिक्षक संदर्शिका एवं कहानी की पुस्तक के माध्यम से प्रतिदिन एक कालखंड 45 मिनट बच्चों को गतिविधियाँ कराया जाता है।
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