महिला को बेटे की तरह सम्मान देते हुए विधायक ने मदद की, खरसिया में घटना बनी चर्चा का विषय
खरसिया, 31 अगस्त 2025। राजनीति को अक्सर सत्ता, रणनीति और भाषणों से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन कभी-कभी छोटी-सी घटना यह याद दिला देती है कि नेतृत्व का असली अर्थ सेवा और संवेदनशीलता है। ऐसा ही नज़ारा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में सामने आया, जब खरसिया के विधायक उमेश पटेल ने अपने व्यस्त काफिले के बीच सड़क किनारे खड़ी एक बुजुर्ग महिला को देखकर गाड़ी रोकी और उन्हें उनके गंतव्य तक पहुँचाया।
दरअसल, उमेश पटेल हालाहुली से एक दशकर्म कार्यक्रम से लौट रहे थे। घघरा गाँव के पास पहुंचते ही सड़क किनारे एक बुजुर्ग महिला ने हाथ उठाकर गाड़ी रोकने का संकेत दिया। अक्सर ऐसी स्थिति में लोग अनदेखा करके निकल जाते हैं, लेकिन उमेश पटेल ने बिना झिझक अपने ड्राइवर से कहा - “गाड़ी रोको!” वाहन रुकते ही उन्होंने खिड़की से झुककर पूछा, “माँ, कहां जाना है?” थरथराती आवाज़ में महिला ने जवाब दिया – “बेटा, खरसिया जाहूँ … छोड़ देबे का।” उसी पल तत्काल उमेश पटेल ने अपने सुरक्षाकर्मी को दूसरी गाड़ी में भेजा और महिला को अपनी गाड़ी में बैठा लिया।
यात्रा के दौरान महिला सहज थीं। शायद उन्हें यह भी अहसास नहीं था कि उनके साथ गाड़ी में बैठा शख़्स उनका विधायक है। खरसिया पहुँचते ही गाड़ी रुकी। गंतव्य पर पहुँचने के बाद महिला ने उमेश पटेल को दुआओं और आशीर्वाद से नवाज़ा। गाड़ी से उतरते ही उसने ममतामयी भाव से कहा - “खुश रह बेटा, भगवान तोला बड़ा करे।” इसके बाद उमेश का काफिला आगे बढ़ गया, लेकिन पीछे छोड़ गया एक ऐसी कहानी, जो बताती है कि राजनीति केवल सत्ता की नहीं, बल्कि संवेदनाओं और सेवा की भी होती है।
यह छोटा सा प्रसंग दर्शाता है कि राजनीति सिर्फ सत्ता की नहीं होती, बल्कि संवेदनाओं और सेवा की भी होती है। खरसिया की जनता के लिए यह क्षण इसलिए भी खास है क्योंकि यह दिखाता है कि उनका प्रतिनिधि केवल मंच से भाषण देने वाला नेता नहीं, बल्कि उनके सुख-दुख में साथ खड़े होने वाला सच्चा जनसेवक है। खरसिया की गलियों और चौपालों में लोग अब इसी घटना की चर्चा करते हुए कह रहे हैं - “ऐसा नेता मिलना भाग्य की बात है, जो जनता को अपने परिवार की तरह समझे।”
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