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वेदांता की 3डी रणनीति: डिमर्जर, डाइवर्सिफिकेशन और डेलीवरेजिंग से कंपनी का आकार दोगुना करने की तैयारी


सक्ती। वेदांता लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने कंपनी की 60वीं वार्षिक आमसभा में विकास की नई दिशा साझा करते हुए कंपनी का आकार दोगुना करने के लिए 3डी रणनीति की घोषणा की। यह रणनीति डिमर्जर, डाइवर्सिफिकेशन और डेलीवरेजिंग पर आधारित है।डिमर्जर के तहत वेदांता की कई यूनिट्स को स्वतंत्र कंपनियों में बदला जाएगा, जिससे प्रत्येक इकाई के पास 100 बिलियन डॉलर की कंपनी बनने की क्षमता होगी। अग्रवाल ने कहा कि इससे हर व्यवसाय पर फोकस बेहतर होगा और उनके विकास को नई रफ्तार मिलेगी। डाइवर्सिफिकेशन के तहत कंपनी न केवल खनिज और धातुओं में, बल्कि ऊर्जा, बिजली और टेक्नोलॉजी जैसे नए क्षेत्रों में भी निवेश बढ़ाएगी। इससे आय के स्रोत में विविधता आएगी और कंपनी का पोर्टफोलियो और मज़बूत होगा। डेलीवरेजिंग का लक्ष्य कंपनी की वित्तीय स्थिति को सुधारना और कर्ज कम करना है, ताकि भविष्य के निवेश और विकास के लिए कंपनी और सक्षम हो सके। वेदांता की यह रणनीति भारत की आर्थिक और ऊर्जा जरूरतों से मेल खाती है। कंपनी देश का पहला औद्योगिक जिंक पार्क और सबसे बड़ा एल्युमिनियम पार्क स्थापित कर रही है, जिससे हजारों MSMEs को बढ़ावा मिलेगा और लाखों रोजगार के अवसर पैदा होंगे। वेदांता 1000 डीप-टेक स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित कर रही है और भारत के सबसे बड़े औद्योगिक इनक्यूबेटर प्लेटफॉर्म की स्थापना की योजना पर काम कर रही है। साथ ही, कंपनी ने 10 महत्वपूर्ण खनिज ब्लॉक हासिल किए हैं जो निजी क्षेत्र में सर्वाधिक हैं। सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत कंपनी की ‘नंद घर’ पहल देश के 15 राज्यों में 8,500 केंद्रों तक पहुँच चुकी है, जो महिला सशक्तिकरण और बाल विकास में अग्रणी भूमिका निभा रही है। कंपनी ने वर्ष 2050 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य तय किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में वेदांता का प्रदर्शन मजबूत रहा। कंपनी ने ₹1,50,725 करोड़ का राजस्व और ₹43,541 करोड़ का एबिटा हासिल किया। शेयरधारकों को कुल 87% का रिटर्न मिला, जो निफ्टी 100 में शीर्ष संपत्ति निर्माताओं में से एक बनाता है। अग्रवाल ने वेदांता विश्वविद्यालय की स्थापना के अपने सपने को भी साझा किया, जो हार्वर्ड जैसे संस्थानों से प्रेरित एक विश्वस्तरीय संस्थान होगा वेदांता अब न केवल देश की औद्योगिक प्रगति में अहम भूमिका निभा रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में भी बड़ा कदम बढ़ा रही है।

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